सोचो कि बरसात में तुम हो
सोचो कि बरसात में तुम हो,मानो कुछ अपने आप में गुम हो,तपती हुई सर्द हवाओं में,इन घनघोर जुल्फ के बादलों में,तू मेरे पास, और पास,जैसे बारिश की बूंदें हों आस-पास।तू थम-थम के कहे कुछ बातें,बीते यूँ ही अरमानों की रातें। तू मुस्कुराए, मैं खो जाऊँ,तेरी चाहतों को को अपनी प्यास बनाऊँ।तेरी आंखों में देखूँ वो […]
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