चलो हम खो जाएँ, दूर कहीं, न जाने कहाँ, न जाने कोई

चलो हम खो जाएँ, दूर कहीं,
न जाने कहाँ, न जाने कोई,
तेरी बाँहों में, मेरे ख्वाबों की दुनिया हो,
जहाँ सिर्फ़ हम हों, और न कोई।

वो घने जंगल, वो ठंडी हवा,
चाँदनी रात की सुनहरी छाया,
तुम्हारे साथ चलूँ मैं बेखबर,
हर रास्ता लगे जैसे सजी हुई माया।

ना कोई मंजिल, ना कोई राह,
बस तुम और मैं, और ये प्यारी सी चाह।
तुम्हारे कदमों की आहट हो,
और मेरे दिल की धड़कन का गीत।

चलो हम खो जाएँ, उस अनजान सफर में,
जहाँ हर मोड़ पर हो एक नया सपने का घर।
तुम्हारी हंसी की वो मासूम खनक,
जैसे बारिश की बूंदों में छुपा कोई राग।

कोई न देखे, कोई न जाने,
हमारे इस प्यारे से सफर का ठिकाना।
बस तुम और मैं, इस प्यार की छांव में,
जहाँ दिल की बातें हों, और कोई न हो साया।

चलो हम खो जाएँ, दूर कहीं,
न जाने कहाँ, न जाने कोई।
जहाँ बस हम हों, और हमारा ये प्यारा प्यार,
हर लम्हा, हर पल, हो जैसे कोई मीठा खुमार।

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