प्रेरणात्मक कविताएं

दीप प्रज्वलित, करते रहें हम, नाम का तेरे, हरवर्ष ऐ गुरुवर।

दीप प्रज्वलित, करते रहें हम, नाम का तेरे, हरवर्ष ऐ गुरुवर, शत सहस्र पर, थमे नहीं यह, कोटि वंदन, वंदना कर… दीप प्रज्वलित, करते रहें हम, नाम का तेरे, हरवर्ष ऐ गुरुवर। गीत ऐसा, लिख दिया है, हम सदा, गाते रहेंगे, स्वार्थ अपना, भूलकर सब, राष्ट्रधुन बस, गाते चलेंगे। सीख ऐसी, दी है हमको, हम […]

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हो उदास, मन हतोत्साहित

हो उदास, मन हतोत्साहित, जीवन लगे दूभर कण्टित, चाह न हो, कुछ भी जीवन में, खो जाएं जब, अंधियारे वन में। पाठ करो तुम, गीत मनोहर, गान करो तुम, गीत सरोवर, श्रेष्ठ गीत ये कृष्णमुखी, करे सफल, सर्वस्व सुखी। अंधियारे वन में जलकर, मार्ग दिखाए, दीप उज्ज्वल, उमंग भर दे, जीवंत कर दे, कण्टक, कंकड़,

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एन्जॉय ही एन्जॉय

किताबों के पन्नों में, खो चुका हूं बचपन, कब करूंगा एन्जॉय, कैसी है ये उलझन। सोचा कि जब, पास होगा बारह, खूब करूंगा एन्जॉय, हर रात बजेंगे बारह। आ गया हूं कॉलेज, न रहा मैं बालक, आया मजा अब कितना, न टोकेंगे पालक। टूटा सपना, जब फिर से, कहती मम्मी न कर ये, पढ़ ले

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फिर भी ये मलाल क्यों?

यूं गुमशुम सा मैं, न था कभी, हूं आज बेबस, न था कभी, काश कि जीता, जी भरके मैं, न होता ऐसा, न था कभी। क्यूं मैंने, व्यर्थ किया, फ़ुरसत के वो पल, जिनपर था हक अपनों का, फिर न मिले वो कल। सोच मेरी थी इस पल में, कर दूं दो और काज, कल

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यूं न मिलती मंजिल ऐसे

गिरता हूं, उठता हूं, गिर गिर कर फिर उठता हूं,जब तब कांपे पग मेरा, अग्निपथ पर चलता हूं। गिर कर ही उठने वाले, एक दिन ऐसा उठते हैं, बनते फिर आदर्श सभी के, सबको प्रेरित करते हैं। तुम भी आ जाओ इस रथ में, क्यों बैठे यूं मायूस से, छोड़ो साद दृढ़ मन कर, मिला

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हौसलों की उड़ानों से

गोद में उस दिन तुझको जब, लेकर अपने सीने से लगाया, पूरी हो गई आरज़ू मेरी, तेरे माथे को जब सहलाया। मुस्काते देखा जब तूने, अपनी बंद आंखों से, लगा यूं कि बोल रही कुछ, अपने उन्मुक्त अरमानों से। हर पल दी इक नई खुशी, अपनी मासूम अदाओं से, नन्हे कदम, तुतलाती बोली, इजाद कर

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