कभी कुछ यूं ही बस यूं ही रहने दो

कभी कुछ यूं ही गुजर जाने दो,
उन खामोश लम्हों को, बस मुस्कुराने दो।
उसके दर्द को न छेड़ो,
वो भी अपना हिसाब रखता है,
उसे अपनी धड़कनों में बस थोड़ी राहत पाने दो।

उसकी चाहतें भी उसकी हैं,
जैसे तिनके की खोज में पंछी का बसेरा है।
वो भी अपनी उम्मीदों के सफर में है,
जहाँ हर मोड़ पर उसके सपने बिखरे हैं,
उसे अपने रास्ते पर खुद को आज़माने दो।

हर “पल” उसकी ज़िंदगी का हिस्सा है,
जो भी है, वही उसका किस्सा है।
उसके टूटे ख्वाबों को फिर से सजने दो,
कभी कुछ यूं ही बस यूं ही रहने दो।

वो अपनी राहों में भी चलना जानता है,
अपने अंधेरों में भी उजाला पाना चाहता है।
उसके सफर को बस यूं ही चलता रहने दो,
कभी कुछ यूं ही बस यूं ही रहने दो।

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