ठीक ही सब है:
वो दिखती रहे बस दूर से ही सही,
मुलाकातें चाहे कम हो या हो नहीं।
उसकी शामों को मेरे कांधे का सहारा हो,
उसका आंसू बस मेरी आखिरी गंगा की धारा हो।
वो मुस्कुराए दूर से ही सही, ये काफी है,
उसकी हंसी में मेरी जिंदगी की रौशनी छुपी है।
उसकी खुशियों में मेरी खुशियों का किनारा हो,
उसके गमों में मेरे दिल का सहारा हो।
वक्त की फासलों में भी प्यार की महक है,
उसकी यादों में अब भी वही चहक है।
दिल की बातें शायद जुबां से कहनी न हो,
पर उसकी हर धड़कन में मेरा नाम छुपा हो।
उसकी खामोशी में मेरे बोल का असर हो,
उसके सपनों में मेरा कोई बसा नगर हो।
उसके दिल में कोई ख्वाहिश अगर हो,
उसकी हर चाहत में मेरा हर उत्तर हो।
उस छोर पर शायद मिलना कब हो, कौन जानता है,
पर इस इंतजार में भी एक प्यारा सा मजा है।
इस दूरी में भी एक अनोखी चाहत छुपी है,
वैसे तो ठीक ही सब है, हाँ, ठीक ही सब है।