कटती नहीं ये रातें,
रुकता नहीं ये दिन,
क्या बताऊं कैसे बीते,
ये पल पल तेरे बिन।
रात आए मेरी,
जब हो सबका सवेरा,
सो जाऊं या उठ जाऊं,
है घनघोर अंधेरा।
आंखें खुले, तो तुझको पाऊं,
तेरी आंखों में खो जाऊं,
यही तमन्ना, है सच ये,
न यकीं, पर झूठ नहीं ये।
कर दो बस ये पूरी मन्नत,
मिल जाए मुझे फिर से जन्नत,
मिटा के दूरी, पास आ जाओ,
रात की चांदनी, फिर दे जाओ।
लंबी रातें, व्यस्त दिन,
सब व्यर्थ है, तेरे बिन।
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