सोचो कि बरसात में तुम हो

सोचो कि बरसात में तुम हो,
मानो कुछ अपने आप में गुम हो,
तपती हुई सर्द हवाओं में,
इन घनघोर जुल्फ के बादलों में,
तू मेरे पास, और पास,
जैसे बारिश की बूंदें हों आस-पास।
तू थम-थम के कहे कुछ बातें,
बीते यूँ ही अरमानों की रातें।

तू मुस्कुराए, मैं खो जाऊँ,
तेरी चाहतों को को अपनी प्यास बनाऊँ।
तेरी आंखों में देखूँ वो गहराई,
जिसमें खो जाना ही मेरा हर सपना है।

तू धीरे से, मेरे कानों में कुछ कहे,
वो हल्की सी फुसफुसाहट,
दिल की धड़कनों को बढ़ा दे।
तेरी ये अदाएं, ये बातों के सिलसिले,
मेरे दिल को और भी पास ले आएँ।

तेरी सांसों की गर्मी से,
मेरी रूह को सुकून मिले।
तू मेरे सीने से लगकर,
हर दर्द, हर ग़म को भूल जाए।
फिर वो पल जब हम दोनों,
एक दूजे में खो जाएं।

सोचो कि बरसात में तुम हो,
मानो कुछ अपने आप में गुम हो,
तेरे मेरे बीच का ये फासला,
बारिश की बूंदों से पिघल जाएगा।
तू मेरे करीब, और करीब,
मैं तेरे प्यार में बस डूब जाऊँगा।
इस बारिश में, इस रात में,
तू मेरी हो जाएगी, मैं तेरा हो जाऊँगा।

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