मुझे अपने प्यार का कोई न कोई रंग दिखता है

तू भी अजीब है, ऐ स्टॉक मार्केट मेरी जान,
कभी तू हंसा देती है, कभी तू रुला जाती है,
तेरे उठते-गिरते भावों में,
जैसे दिल की धड़कनें खो जाती हैं।

तू कभी पास आती है, तो लगता है जैसे जीत ली दुनिया,
फिर अचानक दूर हो जाती है, जैसे तोड़ दी हर एक ख़ुशी।
तेरे साथ की चाहत में,
मैं खो जाता हूँ तेरे सपनों में,
पर तू अपनी चाल चलती है,
जैसे कोई शतरंज की बिसात हो।

तेरे ऊंचे शिखर पर खड़ा होने का एहसास,
जैसे प्यार में पहली बार डूबने का स्वाद,
पर जब तू गिरती है,
दिल के टुकड़े होते हैं हजार।

कभी तू मंदी में चुपचाप बैठी रहती है,
कभी तू तेजी में जैसे आग बरसाती है।
तेरे हर फैसले पर मेरा दिल धड़कता है,
जैसे प्यार में कोई इम्तिहान हो रहा हो।

फिर भी, ऐ मेरी प्यारी मार्केट,
तेरी इस अनिश्चितता में भी कुछ है खास,
क्योंकि तू ही है जो सिखाती है,
प्यार में भी होती है उम्मीद और आस।

तेरी इस अनोखी दुनिया में,
मैं हर दिन नया कुछ पाता हूँ,
तेरे साथ की इस खट्टी-मीठी राहों में,
मैं खुद को और गहराई में पाता हूँ।

कभी तू प्रेमिका बनकर गले लगाती है,
कभी तू दूरी बनाकर सताती है।
पर चाहे जैसे भी हो,
तेरे बिना ये जीवन अधूरा सा लगता है।

तो चल, एक और दिन इस खेल को जीते हैं,
तेरी मोहब्बत में हम फिर से डूबते हैं।
तेरी हर चाल में, हर भाव में,
मुझे अपने प्यार का कोई न कोई रंग दिखता है

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