चंदा (हिंदी कहानी सीरीज – अंतिम भाग)

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इसका मतलब तुमने पापा को बता दिया हमारे बारे में? (चंदा ने हैरानी से पूछा)
अरे अभी ये नहीं बताया हूं, वो मुझे पागल समझेंगे।
मैं वहां ये पता करने गया था कि किस समय पर कौन कहां रहता है। सारे सबूत तो हमें मिल गए हैं बस सभी जगहों पर हम एक साथ दबिश देंगे ताकि कोई वहां से भाग न पाए। तुम्हारे पापा दिन में फैक्टरी में रहते हैं और भाई उस टाइम दुकान पर। उनकी सुरक्षा का विशेष प्रबंध कर दिया गया है। तुम्हारे चाचा वेयरहाउस में ही रहते हैं दिन भर।
चंदा… अब वो दिन आने वाला है जब तुम्हें और हम सब को इंसाफ मिलेगा। बस मुझे एक ही बात है जो मुझे परेशान करती है कि तुम फिर मुझे छोड़कर चले जाओगी।
नहीं नंदू, ऐसा कभी नहीं होगा। वो देख रहे हो खिड़की से बाहर आसमान में… बस उस चांद में तुम्हारी चंदा हमेशा तुम्हारे सामने रहेगी।
मैं बस मुस्कुरा कर अपना गम छुपाते हुए चंदा के हाथों को अपने हाथ में लेकर कहा… चंदा, तुम कितनी समझदारी वाली बात करती हो। 
चंदा… उस दिन सब कितने खुश थे न। शादी के बाद हमारी साथ में पहली होली थी। तुम्हारे मम्मी पापा भी हमारे घर आए थे। हमने decide किया था कि मम्मी पापा को होली के दिन ही खुशखबरी सुनाएंगे। पर हमारी खुशी को किसी की नजर लग गई। 
चंदा मैंने कुछ दिनों पहले ही उस शूटर को पकड़ लिया है जिसने तुम्हारे पापा पर गोली चलाई थी। तुम ट्रे लेकर सबको ठंडाई दे रही थी, अचानक पापा के सामने आ गई और वो गोली तुम्हें लग गई। उस शूटर ने सब कुबूल कर लिया है। 
चंदा… तुम्हें ये जानकर दुख होगा कि इं सब के जिम्मेदार तुम्हारे चाचा हैं। वे एक्सपोर्ट्स की आड़ में गैरकानूनी काम करते थे। तुम्हारे पापा को इस बात का पता चल गया था और उन्होंने तुम्हारे चाचा को मना भी किया था पर वे नहीं माने। फिर तुम्हारे पापा ने उन्हें अपने बिजनेस से अलग करने का फैसला ले लिया था। बस इसी बात से बौखलाकर तुम्हारे चाचा ने पापा को मारने का प्लान बनाया। उन्होंने तुम्हारे साथ हमारी नन्हीं सी जान को भी जन्म लेने से पहले ही मार दिया। 
पुरानी बातें याद करते करते मेरी आंखों से आंसू छलक उठे।
नंदू, उदास मत हो। तुमने तो मुझे बचाने की कोशिश की थी न। हमारा किस्मत ही ठीक नहीं थी। हॉस्पिटल जाते वक्त हमारी गाड़ी का ऐक्सिडेंट हो गया। तुम खुद कोमा में चले गए थे और फिर तुम्हारी याददाश्त चली गई। 
हां चंदा, पापा ने मेरे लिए बहुत मेहनत की। वो मुझे लेकर केरल चले गए। फिर वहां एक आयुर्वेद आश्रम में मेरा एक साल इलाज कराया। मम्मी अकेली चित्रकूट में मेरे ठीक होने की मन्नतें मांगती रहती थी। मम्मी को तो आज तक ये पता ही नहीं है कि मुझे पुराना सब याद आ गया है। खैर अब सब ठीक हो जाएगा।
चंदा… काश कि तुम फिर से हमारे पास वापस आ जाती। मैं अक्सर पड़ोस वाली सरिता आंटी की पोती को देखकर यही सोचता रहता था कि अगर हमारी बेटी होती तो वो भी इतनी ही बड़ी होती। बस उसी को देखकर मन भर लेता था।
नंदू, दिल छोटा न करो। धीरे धीरे सब बदल जाएगा। सब ठीक हो जाएगा।
नंदू, तुम मुझसे एक वादा करो।
क्या चंदा? 
पहले तुम वादा करो कि तुम मेरी बात नहीं टालोगे।
अच्छा बाबा ठीक है, मैं वादा करता हूं।
नंदू… मैं चाहती हूं कि ये केस पूरा होने के बाद तुम दूसरी शादी कर लो।
नहीं चंदा… ये कभी नहीं हो सकता, ये तुमने कैसे सोच लिया। तुम्हारी जगह और कोई नहीं ले सकता चंदा।
नंदू तुमने मुझे वादा किया है, तुम नहीं चाहते कि मेरी आत्मा को शांति मिले। 
ये तुमने सही नहीं किया चंदा।
नंदू, मुझसे तुम्हारा ये अकेलापन देखा नहीं जाता। जिंदगी यूं ही गम में मत बिताओ। तुम खुश रहो, तभी मुझे भी खुशी मिलेगी नंदू। बोलो, मानोगे मेरा कहना।
मैंने बिना मन के चंदा को हां कह दिया।
चंदा हमेशा की तरह मेरे बालों को सहलाती रही और मुझे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला…
अगले दिन प्लान के मुताबिक हमारी टीम ने दबिश देकर चंदा के चाचा को पकड़ लिया। मम्मी को मैंने सब सच बता दिया, खुशी के मारे उनके आंसू थम ही नहीं रहे थे। चंदा, जो कि मेरे इस मुश्किल दौर में एक अदृश्य शक्ति के रूप में, मेरे मन की ही आवाज बनकर मेरा मनोबल बढ़ाती रही। मैं हमेशा यही दुआ करूंगा कि हर जनम में मुझे चंदा जैसी जीवनसाथी मिले।
पाठकों, आशा है कि आप लोगों को ये छोटी सी कहानी पसंद आई होगी। अपने सुझाव एवं प्रतिक्रियाएं कमेंट के जरिए प्रेषित करें। मुझे खुशी होगी एवं नए लेख लिखने हेतु मेरा मनोबल बढ़ेगा। नई कहानी लेकर जल्द ही आपसे मुलाकात करूंगा। अपना कीमती समय देने के लिए आप सभी का हृदय से धन्यवाद। 

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