पर तुम न मिले

ये खुला आसमान,

ये धुली सी जमीन,

खिली धूप अभी,

पर तुम न मिले।

बादलों ने फिर छुपकर,

फुहारों से भिगोया है,

लगा प्यारा ये तुमसा,

पर तुम न मिले।

पत्ते फिर हिले हैं,

फूल बन दिल खिले हैं, 

पतझड़ बीत गया अब,

पर तुम न मिले।

कितने सावन बीत गए,

रिमझिम बूंदें मीत बने,

बादलों में तुमको देखा,

पर तुम न मिले।

लगे ये पल नया सा,

कशिश दिल में जगा सा,

सोचा अब मिलोगे,

पर तुम न मिले।

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