कृष्णं शरणं गच्छामि।
धर्मं शरणं गच्छामि।
संघं शरणं गच्छामि।
जीवन में कभी, न समझो अकेला,
कृपा कर्म है, न समझो झमेला,
हैं साथ हम सब, मिलकर लड़ेंगे,
संकटों को सब, मिलकर सहेंगे।
आ जाये तूफान भयंकर,
बन जाए घनघोर बवंडर,
हंसते हंसते तर जाएंगे,
बेड़ा पार गोविंद लगाएंगे।
घर घर गीता, हर कर गीता,
संकल्प लेकर हम चले,
निभाते चले सेवा नाते,
कृष्णगीत हैं हम गाते।
प्रारब्ध बना मेरा संस्कार,
कृष्ण भक्ति,
धार्मिक युक्ति,
संघीय शक्ति,
इस त्रिस्तंभ पर अडिग,
हमारा यह गीता परिवार,
यही है बस, जीवंत संसार।
सभी गीतासेवियों को समर्पित।