माँ फिर याद आती है

उसकी ममता की छाँव में,
हर दुःख का हल मिल जाता था।
उसकी गोद में सिर रखकर,
सारा जग भूल जाता था।

वो प्यार भरी बातें उसकी,
दिल को सुकून दे जाती हैं।
उसके बिना ये दुनिया जैसे,
सपनों में बसी परछाईं है।

कभी हंसाती, कभी रुलाती,
उसकी यादें बहुत तड़पाती हैं।
माँ के बिना ये जीवन जैसे,
बसंत में पतझड़ और रुसवाई है।

हर कदम पर उसकी कमी,
चुभन दिल की, आँखों में लाती है।
माँ की ममता, माँ की बातें,
हर पल, हर घड़ी याद आती हैं।

माँ फिर याद आती है,
आज मैं रूठा हूँ, मुझे मनाती है।
ताक रही है मुझे नई राह चलते,
नादानियाँ पुरानी मेरी उसे सताती है।
माँ बहुत याद आती है

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