दिल बोले जितना, बताती नहीं हैं,
कैसे करुं मैं, बयां दिल की बातें,
एहसास भी अब, जताती नहीं हैं।
दिल में बसी है, ये सूरत तुम्हारी,
मन में रमी है, ये मूरत तुम्हारी,
आंखें करुं बंद, जब मिलना हो तुमसे,
बातें हो जाती, हमारी तुम्हारी।
समझ गए सब, तुमने कहा जो,
वो भी हैं समझे, जो न कहे हो,
करते गए सब, हद से भी बढ़कर,
आंखें तुम्हारी हम, चुपके से पढ़कर,
समझो न तुम भी, इन आंखों की भाषा,
बयां करती सब कुछ, जुबां से भी ज्यादा,
कहना जुबां से, जरूरी है अब क्या,
कह जाए सब ये, जो ख़ामोश रहकर।
शब्दों में कुछ भी, नहीं है ये समझो,
समझे अगर तुम, तो जानोगे ये भी,
बातें जुबां पे, क्यूं आती नहीं हैं,
दिल बोले जितना, बताती नहीं हैं…