दो चिड़िया
हूं बेसब्र, कब सुबह फिर होगी, कब बीते रात, कब चहचहाहट होगी, बन चिड़िया चल मेरे, भर दो फिर नव रंग, जैसे खेला कल था, फिर खेलें हम संग। दो बहनों ने कैसे, बदले मेरे रूप, कभी बनाई गुड़िया, कभी बनाया भूप, कभी हंसाया मुझको, सजाके हर रोज, कभी बनाया बंदर, हंसने लगे सब लोग। […]