पल पल में तू मुस्काए,
दूजे पल फिर रूठ जाए,
फूलों की बगिया में बैठी,
कैसे अपना मुंह फुलाए।
जिद थी कि गोदी में लो,
या फिर लाकर टॉफी दो,
मिला जब तुझको 5 रुपया,
बन गई तू प्यारी सी गुड़िया।
साथ पढ़ते, साथ खेलते,
एक दूजे को खूब सताते,
खेल खेल में रूठ जाते,
जीभ दिखाकर, फिर हंस जाते।
बात बात पर तुझे सताना,
बिन बातों के तुझे रुलाना,
कभी मनाना, कभी हंसाना,
बचपन का बस यही फसाना।
याद है मुझको वो दिन जब,
हो रही विदाई थी,
रात बजे थे ढोल और ताशे,
कभी बजी शहनाई थी।
बिलख बिलख कर रो पड़ा मैं,
जब छूटा तेरा साथ,
जाना था तुझे एक दिन,
थामे अपने साजन का हाथ।
दिल से दुआ है, बीते तेरा,
हर लम्हा ससुराल में,
जैसा बीता पीहर में,
और जैसा ननिहाल में।