जब हो दिल उदास,
कोई हो इतना पास,
जो हो अपना सा,
प्यारा एक सपना सा।
पढ़े दिल, अनकही बातों में,
लिखीं हों, जो आंखों में,
मिले कोई अपना सा,
प्यारा एक सपना सा।
क्या करूं, इन आंखों का,
उमड़े सैलाब, जज्बातों का,
छलक जाते हैं कभी भी,
बे मौसम बरसातों सा।
देखो, इन आंखों को,
बने ये नादान, बने बेजुबान,
समझे इसे, कोई अपना सा,
प्यारा एक सपना सा।