चंदा (कहानी सीरीज, भाग – 4) से आगे…
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अरे वाह, ये बहुत अच्छी बात है। संक्रांति का दिन भी बहुत शुभ है। तो फिर एक काम करते हैं, मैं अपने ऑफिस स्टाफ को आमंत्रित करता हूं, त्योहार में थोड़ी रौनक भी हो जाएगी और तुम्हारा प्रचार भी हो जाएगा। क्यों गीता, तुम्हारा क्या ख्याल है। जी ये तो बहुत अच्छा विचार है।
मम्मी खाना लगा दो, बहुत जोर की भूख लगी है।
अभी लो बेटा। राम, आप भी आ जाइए हाथ धोकर। गरमागरम रोटी सेंकती जाती हूं, आप लोग आ जाओ डायनिंग पर…
पापा… आपने जैसा कहा था, मैं गया था मेहरोत्रा जी की दुकान पर। वहां पर वो आकाश मेहरोत्रा तो नहीं थे, पर उनका बेटा मिला था।
अच्छा, चलो बढ़िया रहा जो तुम खुद ही देख आए। बाकी की जो भी डिटेल्स है वो हम कल मॉर्निंग वॉक पर डिस्कस करेंगे। मैं नहीं चाहता कि इस केस के बारे में ऑफिस में ज्यादा लोगों को पता चले।
नंद किशोर… आज डी.आई.जी. साहब आए थे। तुम्हारे काम की तारीफ कर रहे थे। मेरा सीना तो गर्व से चौड़ा हो गया। बस ऐसे ही काम करते रहो। एक बात ध्यान रखना, कि किसी को भी इस राज का पता न चले, तुम्हारी मम्मी को भी नहीं।
मैंने मुस्कुराकर जवाब दिया, आपका आशीर्वाद है पापा। मैं पूरा ध्यान रख रहा हूं पापा। आज लेकिन, बाल बाल बचा वरना मम्मी पकड़ लेती।
क्या खुसुर फुसुर चल रही है बाप बेटे के बीच, हमें भी तो सुनाओ।
अरे कुछ नहीं मम्मी, वो आज शॉपिंग के लिए गया था न, बस वहीं मार्केट के बारे में बता रहा था पापा को कि अच्छा बड़ा मार्केट है। किसी दिन आपके साथ चलेंगे मम्मी, आपके लिए शॉपिंग करने।
मम्मी मुस्कुराकर हम दोनों की थाली में रोटी रखकर किचन चले गई। फिर किचन से ही बोली, ठीक है चलेंगे। पापा को भी तैयार करना पर, साथ चलेंगे सब।
हां बाबा, हम भी चलेंगे, उसमें क्या है। फिर हम सब भोजन कर सोने चले गए।
मैं बिस्तर पर लेटे लेटे खिड़की से बाहर देखते हुए आज दिन भर की बातें सोच रहा था।
नंदू… तुम आए नहीं वादा करके।
अरे चंदा तुम, सो सॉरी चंदा… वो शॉपिंग में लेट हो गया। कान पकड़ कर सॉरी।
क्या सॉरी नंदू, मैं वहां गंगा जी के किनारे तुम्हारा इंतज़ार करती रही और तुम शॉपिंग करते रहे।
चंदा… आओ, यहां बैठो, आओ।
क्या है, बोलो…
चंदा पता है, आज क्या हुआ वहां?
क्या हुआ? (चंदा गुस्से में मुंह फुलाकर पास आकर बैठ गई)
वैसे चंदा… तुम गुस्से में और भी ज्यादा प्यारी लगती हो।
चंदा शरमा कर मुस्कुरा बोली…अच्छा ठीक है…मस्का मत लगाओ। बताओ क्या बता रहे थे।
हां, मै ये बता रहा था चंदा कि आज मैं तुम्हारे भाई से मिलकर आ रहा हूं।
चंदा की आंखे बड़ी हो गई…क्या कहा, तुम कुंज गली गए थे आज..?
हां चंदा, पापा ने भेजा था।
इसका मतलब तुमने पापा को बता दिया हमारे बारे में? (चंदा ने हैरानी से पूछा)
अरे अभी ये नहीं बताया हूं, वो मुझे पागल समझेंगे।
क्रमशः … चंदा (कहानी सीरीज – अंतिम भाग)