ओ प्रिये!
हर श्वास में मेरी,
तुम ही तो बसी हो।
हर निःश्वास में पुकारूँ तुझे,
हर प्रश्वास में बातें हो तुझसे,
बातें न हो पाई आज प्रत्यक्ष,
उदास न हो तुम,
जल्द आऊंगा तुम्हारे समक्ष,
असीमित बातें होंगी,
असीमित यादें होंगी।
हृदय मेरा,
स्पन्दन करता रहेगा तब तक,
स्मृति रूपी प्राण सुकृति की,
संचरण करता रहेगा जब तक।