हो उदास, मन हतोत्साहित

हो उदास, मन हतोत्साहित,

जीवन लगे दूभर कण्टित,

चाह न हो, कुछ भी जीवन में,

खो जाएं जब, अंधियारे वन में।

पाठ करो तुम, गीत मनोहर,

गान करो तुम, गीत सरोवर,

श्रेष्ठ गीत ये कृष्णमुखी,

करे सफल, सर्वस्व सुखी।

अंधियारे वन में जलकर,

मार्ग दिखाए, दीप उज्ज्वल,

उमंग भर दे, जीवंत कर दे,

कण्टक, कंकड़, जीवन पथ के,

कुसुमलता, पुष्पित कर दे।

ध्येय बनाकर, अर्पण कर दो,

गीतामय जीवन कर दो,

करो शुभारंभ, दो श्लोक से,

नित्य, नियत, दृढ़ संकल्प से,

कण्ठस्थ सम्पूर्ण तक, रुकना नहीं,

जीवन में, कभी थकना नहीं।

नया सवेरा, नव जीवन,

प्रसन्न आत्म, प्रसन्न तन मन,

गुरुवर ने यह, पाठ सिखाया,

गीता पढ़, जीवन में लाया।

आओ पढ़ें, हम पावन गीता,

सर्व समाज, सकल पुनीता,

एक स्वर में, गुंजायमान हो,

हर हर गीता, घर घर गीता।

।।ॐ श्री कृष्णार्पणमस्तु।।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top