स्मृति रूपी प्राण सुकृति की
ओ प्रिये! हर श्वास में मेरी, तुम ही तो बसी हो। हर निःश्वास में पुकारूँ तुझे, हर प्रश्वास में बातें हो तुझसे, बातें न हो पाई आज प्रत्यक्ष, उदास न हो तुम, जल्द आऊंगा तुम्हारे समक्ष, असीमित बातें होंगी, असीमित यादें होंगी। हृदय मेरा, स्पन्दन करता रहेगा तब तक, स्मृति रूपी प्राण सुकृति की, संचरण […]
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