हास्य कविताएं

मुझे अपने प्यार का कोई न कोई रंग दिखता है

तू भी अजीब है, ऐ स्टॉक मार्केट मेरी जान,कभी तू हंसा देती है, कभी तू रुला जाती है,तेरे उठते-गिरते भावों में,जैसे दिल की धड़कनें खो जाती हैं। तू कभी पास आती है, तो लगता है जैसे जीत ली दुनिया,फिर अचानक दूर हो जाती है, जैसे तोड़ दी हर एक ख़ुशी।तेरे साथ की चाहत में,मैं खो […]

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हूं सुन्दर चिकनी चिकनी

कल मैंने श्रीमती जी और छिपकली के बीच संवाद होते देखा। उनके बीच हुए संवाद को एक हास्य कविता के रूप में आपके समक्ष पेश कर रहा हूं, उम्मीद है आपको जरूर पसंद आएगी… छिपकली कहती है… कहती नहीं, चुपचाप तो हूं मैं, फिर क्यों मुझसे डरती हो, कहती खुद को तुम ठकुराईन, फिर छिप

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