गोद में उस दिन तुझको जब,
लेकर अपने सीने से लगाया,
पूरी हो गई आरज़ू मेरी,
तेरे माथे को जब सहलाया।
मुस्काते देखा जब तूने,
अपनी बंद आंखों से,
लगा यूं कि बोल रही कुछ,
अपने उन्मुक्त अरमानों से।
हर पल दी इक नई खुशी,
अपनी मासूम अदाओं से,
नन्हे कदम, तुतलाती बोली,
इजाद कर नए शब्दों से।
मन से बनी “मनस्वी” मेरी,
पल पल के एहसासों से,
बन तपस्वी, जीत लेना जग,
हौसलों की उड़ानों से।
Wah….
Thank you 😊